hindisamay head


अ+ अ-

कविता

इंसाफ

फ़रीद ख़ाँ


अगर लोग इंसाफ के लिए तैयार न हों।और नाइंसाफी उनमें विजय भावना भरती हो।
तो यकीन मानिए,
वे पराजित हैं मन के किसी कोने में।
उनमें खोने का अहसास भरा है।
वे बचाए रखने के लिए ही हो गए हैं अनुदार।
उन्हें एक अच्छे वैद्य की जरूरत है।

वे निर्लिप्त नहीं, निरपेक्ष नहीं,
पक्षधरता उन्हें ही रोक रही है।
अहंकार जिन्हें जला रहा है।
मेरी तेरी उसकी बात में जो उलझे हैं,
उन्हें जरूरत है एक अच्छे वैज्ञानिक की।

हारे हुए लोगों के बीच ही आती है संस्कृति की खाल में नफरत।
धर्म की खाल में राजनीति।
देशभक्ति की खाल में सांप्रदायिकता।
सीने में धधकता है उनके इतिहास।
आँखों में जलता है लहू।
उन्हें जरूरत है एक धर्म की।

ऐसी घड़ी में इंसाफ एक नाजुक मसला है।
देश को जरूरत है सच के प्रशिक्षण की।

 


End Text   End Text    End Text